सरकार के दावों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

श्रीनगर। आपदा राहत कार्यों के सरकारी दावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि सरकारी दावे और साक्ष्य हकीकत से परे हैं। छह महीने बाद भी धरातल पर कोई कार्य नहीं किए गए।
स्थानीय निवासी जेपी बिष्ट, विमल प्रसाद बहुगुणा, सुलोचना रावत, वीडी लिंगवाल ने सरकार के आपदा राहत कार्यों के दावों पर सवाल खडे़ किए हैं। याचिका दायर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील बीके पाल ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर सर्वे किया। इसमें सरकार द्वारा किए गए दावे हवाई साबित हुए हैं। उनके मुताबिक सरकार ने दावा किया है कि दो करोड़ 22 लाख की लागत से प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर प्रभावितों को सक्षम बनाया गया था। इस मामले में सरकार अब तक प्रशिक्षुओं की सूची उपलब्ध नहीं करवा पाई है। दूसरे मामले में सरकार ने 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों मुनस्यारी, धारचूला, जोशीमठ, गैरसैण, जखोली, अगस्त्यमुनि, नौगांव, साहिया, पाबौ, कर्णप्रयाग, थराली व थलीसैण को व्यवस्थाओं और उपकरणों के लिए 50-50 लाख देने की बात कही, लेकिन इसके बाद भी इनकी हालत में कोई सुधार नहीं है। उन्होंने सरकार की ओर से सड़क सुधारने का दावा भी झूठा करार दिया। कहा कि अधिकांश सड़कों पर बस सेवा शुरू नहीं हो पाई हैं। याचिकाकर्ताओं ने सरकार पर झूठे साक्ष्य पेश करने का आरोप लगाया है। वकील पाल ने बताया कि कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तीन जनवरी तक साक्ष्य प्रस्तुत करने का समय दिया है। उन्होंने आपदा फंड की निगरानी के लिए मानीटरिंग कमेटी बनाने की भी मांग की है।

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